एक चिड़िया रोज़ बैठे मेरी खिड़की पर एक चिड़िया रोज़ बैठे मेरी खिड़की पर
तुम्हारे घर का दरवाज़ा , अब मेरी बात क्यों नहीं करता ?? तुम्हारे घर का दरवाज़ा , अब मेरी बात क्यों नहीं करता ??
कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...
मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...। मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...।
उम्मीदों के खिलाफ ! उम्मीदों के खिलाफ !
वो लड़की और उसकी दुनिया सब 'ख्वाब' ही तो है ! वो लड़की और उसकी दुनिया सब 'ख्वाब' ही तो है !